Wednesday, January 2, 2013

Goverdhan Maharaj Ki Jay

भगवान् को अपने भक्त सदैव ही प्रिये है,
और अपने भक्तो पर सदैव ही उनकी करुणा बरसती रहती है!

ऐसा ही एक भक्त था,
नाम था गोवर्धन!

गोवर्धन एक ग्वाला था,
बचपन से दूसरों पे आश्रित, क्योंकि उसका कोई नहीं था

जिस गाँव में रहता,
वहां की लोगो की गायें आदि चरा कर जो मिलता,उसी से अपना जीवन चलाता!

पर गाँव के सभी लोग उस से बहुत प्यार करते थे!

एक दिन गाँव की एक महिला,जिसे वह काकी कहता था,
के साथ उसे वृन्दावन जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ!

उसने वृन्दावन के ठाकुर श्री बांके बिहारी जी के बारे बहुत कुछ सुना था,
सो दर्शन की इच्छा तो मन में पहले से थी!

वृन्दावन पहुँच कर जब उसने बिहारी जी के दर्शन किये,
तो वो उन्हे देखता ही रह गया
और उनकी छवि मेंखो गया!

एकाएक उसे लगा के जैसे ठाकुर जी उसको कह रहे है..

"आ गए मेरे गोवर्धन!
मैं कब से प्रतीक्षा कर रहा था,
मैं गायें चराते चराते थक गया हूँ,
अब तू ही मेरी गायें चराने जाया कर!"

गोवर्धन ने मन ही मन
"हाँ" कही!

इतनी में गोस्वामी जी ने पर्दा दाल दिया, तो गोवर्धन का ध्यान टूटा!

जब मंदिर बंद होने लगा,तो एक सफाई कर्मचारी ने उसे बाहर जाने को कहा!

गोवर्धन ने सोचा,
ठीक ही तो कह रहा है,
सारा दिन गायें चराते हुए ठाकुर जी थक जाते होंगे,सो अब आराम करेंगे!

तो उसने सेवक से कहा,..
ठीक है,पर तुम बिहारी जी से कहना, कि कल से उनकी गायें चराने मैं ले जाऊंगा!
इतना कह वो चल दिया!

सेवक ने उसकी भोली सी बात गोस्वामी जी को बताई,
गोस्वामी जी ने सोचा,कोई बिहारी जी के लिए अनन्य भक्ति ले कर आया है,
चलो यहाँ रह कर गायें भी चरा लेगा,
और उसके खाने पीने,रहने का इंतजाम मैं कर दूंगा!

गोवर्धन गोस्वामी जी के मार्ग दर्शन में गायें चराने लगा!

सारा सामान और दोपहर का भोजन इत्यादि उसे वही भेज दिया जाता!

एक दिन मंदिर में भव्य उत्सव था,
गोस्वामी जी व्यस्त होने के कारण गोवर्धन को भोजन भेजना भूल गए!

पर भगवान् को तो अपने भक्त का ध्यान नहीं भूलता!

उन्होने अपने एक वस्त्र में कुछ मिष्ठान इत्यादि बांधे और पहुँच गए यमुना पे गोवर्धन के पास..

गोवर्धन ने कहा,
आज बड़ी देर कर दी,
बहुत भूख लगी हैं!

गोवर्धन ने जल्दी से सेवक के हाथ से पोटली लेकर भर पेट भोजन पाया!

इतने में सेवक जाने कहाँ चला गया,
अपना वस्त्र वहीँ छोड़ कर!

शाम को जब गोस्वामी जी को भूल का एहसास हुआ,
तो उन्होने गोवर्धन से क्षमा मांगी

तो गोवर्धन ने कहा.
"अरे आप क्या कह रहे है,
आपने ही तो आज नए सेवक को भेजा था,
प्रसाद देकर, ये देखो वस्त्र जो वो जल्दी में मेरे पास छोड़ गया!"

गोस्वामी जी ने वस्त्र देखा तो गोवर्धन पर बिहारी जी की कृपा देख आनंदित हो उठे!

ये वस्त्र स्वयं बिहारी जी का पटका
(गले में पहनने वाला) था,जो उन्होने खुद सुबह उनको पहनाया था!

भक्त और भगवान् की जय...


Saurav Sharmma (Govaradhan)

2 comments:

  1. Jai Giriraj ji ki Sonu Mittal ji.

    श्री राधे जी के बारे में किसी कवि ने बड़ो सुंदर लिखो है कि:
    विश्व सब बारौँ भूमि भारत के कण-कण पे,
    भारत सब बारौँ बरसाने बृज खोरी पे।
    बृज के परिहासन पे स्वर्ग को बिलास बारूँ,
    इंद्र पद बारूँ बिंदु माखन कमोरी पे॥
    वृंदारक वृंद बारूँ एक ब्रजवासी पे,
    ब्रजवासी बारूँ ब्रज गोपिन की पोड़ी पे।
    ब्रज गोपी बारौँ श्री कृष्ण मन मोहन पे,
    कृष्णहुँ को बारौँ वृषुभानु की किशोरी पे॥
    बोलो बरसाने बारी की जय।
    राधे राधे

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