Thursday, November 29, 2012

Mansi Ganga Govardhan


     राधाकुण्ड से तीन मील पर गोवर्धन पर्वत है। पहले यह गिरिराज 7 कोस में फैले हुए थे, पर अब आप धरती में समा गए हैं। यहीं कुसुम सरोवर है, जो बहुत सुंदर बना हुआ है। यहाँ वज्रनाभ के पधराए हरिदेवजी थे पर औरंगजेबी काल में वह यहाँ से चले गए। पीछे से उनके स्थान पर दूसरी मूर्ति प्रतिष्ठित की गई। यह मंदिर बहुत सुंदर है। यहाँ श्री वज्रनाभ के ही पधराए हुए एकचक्रेश्वर महादेव का मंदिर है। गिरिराज के ऊपर और आसपास गोवर्द्धन ग्राम बसा है तथा एक मनसा देवी का मंदिर है। मानसी गंगा पर गिरिराज का मुखारविन्द है, जहाँ उनका पूजन होता है तथा आषाढ़ी पूर्णिमा तथा कार्तिक की अमावस्या को मेला लगता है। गोवर्द्धन में सुरभि गाय, ऐरावत हाथी तथा एक शिला पर भगवान का चरणचिह्न है। मानसीगंगा पर जिसे भगवान्‌ ने अपने मन से उत्पन्न किया था, दीवाली के दिन जो दीपमालिका होती है, उसमें मनों घी ख़र्च किया जाता है, शोभा दर्शनीय होती है। परिक्रमा की शुरुआत वैष्णवजन जतिपुरा से और सामान्यजन मानसी गंगा से करते हैं और पुन: वहीं पहुँच जाते हैं। पूंछरी का लौठा में दर्शन करना आवश्यक माना गया है, क्योंकि यहाँ आने से इस बात की पुष्टि मानी जाती है कि आप यहाँ परिक्रमा करने आए हैं।

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